Skip to main content

makarsankranti -2017

मकर संक्रांति 2017 - 14 जनवरी (शनिवार)

मकर संक्रांतिमकर संक्रांति ही एक ऐसा पर्व है जिसका निर्धारण सूर्य की गति के अनुसार होता है।पौष मास में जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस काल विशेष को ही संक्रांति कहते हैं।
 
यूं तो प्रति मास ही सूर्य बारह राशियों में एक से दूसरी में प्रवेश करता रहता है। पर वर्ष की बारह संक्रांतियों में यह सब से महत्वपूर्ण है| यह त्यौहार अधिकतर जनवरी माह की चौदह तारीख को मनाया जाता है। वैसे तो यह प्रतिवर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता लेकिन किसी-किसी वर्ष यह त्यौहार बारह, तेरह या पंद्रह को भी हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सूर्य कब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है।इस दिन से सूर्य की उत्तरायण गति आरंभ होती है और इसी कारण इसको उत्तरायणी भी कहते हैं।

मकर सक्रांति मनाए जाने का यह क्रम हर दो साल के अन्तराल में बदलता रहता है। लीप ईयर वर्ष आने के कारण मकर संक्रांति 2017 व 2018, 2021 में वापस 14 जनवरी को व साल 2019 व 2020 में 15 जनवरी को मनाई जाएगी। यह क्रम 2030 तक चलेगा। इसके बाद तीन साल 15 जनवरी को व एक साल 14 जनवरी को सक्रांति मनाई जाएगी।

ऐसा होने का कारण है, पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए प्रतिवर्ष 55 विकला या 72 से 90 सालों में एक अंश पीछे रह जाती है। इससे सूर्य मकर राशि में एक दिन देरी से प्रवेश करता हैं। करीब 1700 साल पहले 22 दिसम्बर को मकर संक्रांति मानी जाती थी। इसके बाद पृथ्वी के घूमने की गति के चलते यह धीरे-धीरे दिसम्बर के बजाय जनवरी में आ गयी है| मकर संक्रांति का समय हर 80 से 100 साल में एक आगे बढ़ जाता है। 19 वी शताब्दी में कई बार मकर संक्रांति 13 और 14 जनवरी को मनाई जाती थी। पिछले तीन साल से लगातार संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। 2017 और 2018 में संक्रांति 14 जनवरी को शाम को अर्की होगी|

मकर संक्रांति का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है|

मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहाँ पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी।

मकर संक्रांति से जुड़ी लोककहानियाँ

कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाया करते हैं। शनिदेव चूंकि मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा उनसे मिली थीं। यह भी कहा जाता है कि गंगा को धरती पर लाने वाले महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इस दिन गंगा समुद्र में जाकर मिल गई थी। इसलिए मकर संक्रांति पर गंगा सागर में मेला लगता है।

महाभारत काल के महान योद्धा भीष्म पितामह ने भी अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था। 

इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी व सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। इस प्रकार यह दिन बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन भी माना जाता है। यशोदा जी ने जब कृष्ण जन्म के लिए व्रत किया था तब सूर्य देवता उत्तरायण काल में पदार्पण कर रहे थे और उस दिन मकर संक्रांति थी। कहा जाता है तभी से मकर संक्रांति व्रत का प्रचलन हुआ।

इस त्यौहार को अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। मकर संक्रांति को तमिलनाडु में पोंगल के रूप में तो आंध्रप्रदेश, कर्नाटक व केरला में यह पर्व केवल संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
source

महाराष्ट्रातील संक्रांत

महाराष्ट्रात हा सण तीन दिवस साजरा करतात. यास भोगी (सामान्यतः १३ जाने), संक्रांती (सामान्यतः १४ जाने) व किंक्रांती (सामान्यतः १५ जाने) अशी नावे आहेत. संक्रांतीस आप्तस्वकीयांना तिळगुळ आणि वाणवाटून 'तिळगुळ घ्या आणि गोड बोला' असे सांगून स्नेह वृद्धिंगत होण्याची शुभकामना दिली जाते. विवाहित स्त्रिया या दिवशी हळदी-कुंकू करतात. इंग्लिश महिन्यानुसार हा दिवस १४ जानेवारी रोजी येतो. परंतु दर ७० वर्षांनी ही तारीख एक दिवस पुढे जाते.

Comments

Popular posts from this blog

VG-2017 Summit Registration - Vibrant Gujarat Global Summit.

Website Registration is mandatory to participate in Vibrant Gujarat Global Summit. You can register with invitation code or you can send request for participation. Individual Registration Process https://www.vibrantgujarat.com/registration.htm  The Vibrant Gujarat Global Summit, which started in 2003 to rekindle the pace of investments in the state, has since established itself as one of the most important international business events in the country. Vibrant Gujarat Global Summit is an example of the visionary approach of the Government of Gujarat towards inclusive and sustainable development by ensuring policy coherence and effective investment promotion. Far from the regional investment fair that characterized the first Summit in 2003, the biennial Summit has today become a unique forum for exchanging ideas, sharing knowledge, networking, exploring business opportunities and signing cooperation agreements and partnerships, while setting the policy agenda for m...

Different Types of Fabrics Used in T-Shirts

When you are going to place an order for T-shirts or you are planning to start your own T-shirt brand or T-shirt manufacturing business, you try to find out what are the common fabrics used to make T-shirts. You might already know that T-shirt is majorly made of knitted fabrics. Within knitted fabrics there are variety of fabrics available in the market. So the most difficult thing is in knits fabrics what fabrics are for t-shirts. Mostly, T-shirt fabrics are made of 100% cotton yarns. Though polyester fabrics and spandex blended fabrics used for T-shirts. Fabric differentiation can be done in following ways. Like based on knits fabric structures, Fabric Patterns etc. Couple of images are shown in each fabric categories. Common T-Shirt fabrics based on knitting structure   Single Jersey Double Jersey 1X1 Ribs 2X2 Ribs : Ribs can be also used in neck finishing in a single jersey T-Shirt.  image courtesy: alibaba.com Common fabrics catego...

Design Pune T-Shirts Online

http://woxx.in Free Shipping Within Pune Order T-Shirts Today... Get Quotation Get quick quotation for Custom T-Shirts Queen of the Deccan, Oxford of the East, and cultural capital of Maharashtra,  Pune  is a city with a future that promises to be as interesting as its history.  Fergusso n College ,  Mahatma Gandh i Road ,  Shani warwada , the  HSBC Global Technology India Headquarters , and the  National War Memorial Southern Command - Any Place or Many Places from Pune, you can put on your t-shirt and we would love to see you wear the design. source   Free Shipping & Delivery within 14 days Screen, Embroidery & Rubber Print Have a Bulk T-Shirt order? T-Shirts Your logo and design on casual tees or office t-shirts. The perfect, proven, cost effective and essential way to get your name and brand out there. Difference between Screen and Digital Print source  “Which is better, scree...